हमारा सर्वोत्म जीवन अभी आगे है: अर्थात् नयी पृथ्वी, जो हमारा अनन्त घर है (Our Best Life Yet to Come: The New Earth, Our Eternal Home)
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कल्पना कीजिए कि आप मंगल ग्रह पर पाँच वर्ष के मिशन की तैयारी कर रही नासा टीम का हिस्सा हैं। व्यापक प्रशिक्षण की अवधि के बाद, लॉन्च की तारीख आखिरकार आ ही गई है। जैसे ही रॉकेट ने उड़ान भरी, ठीक उसी समय आपका एक साथी अंतरिक्ष यात्री आपसे पूछता है कि “आप मंगल ग्रह के बारे में क्या जानते हैं?”
कल्पना कीजिए कि आप अपने कंधे उचकाकर कह रहे हों कि, “मैं तो कुछ भी नहीं जानता। हमने इसके बारे में कभी बात नहीं की। मुझे लगता है कि जब हम वहाँ पहुँचेंगे तो हमें पता चल जाएगा।” यह अकल्पनीय बात है, है न? यह बात समझ से परे है कि आपके प्रशिक्षण में आपके अंतिम गंतव्य के लिये व्यापक अध्ययन और तैयारी शामिल नहीं रही होगी। फिर भी सारे संसार की सेमिनरियों, बाइबल स्कूलों और कलीसियाओं में, हमारे अंतिम गंतव्य अर्थात् नये स्वर्ग और नयी पृथ्वी के बारे में बहुत कम शिक्षा दी जाती है। हमें यह तो बताया जाता है कि स्वर्ग कैसे पहुँचा जाए, और यह नरक से बेहतर गंतव्य है, परन्तु हमें स्वर्ग के बारे में उल्लेखनीय रूप से बहुत कम सिखाया जाता है।